किताबों की महक का कारण मुख्य कारण लिग्निन और चंद कार्बनिक यौगिक हैं. यह गोंद, स्याही और कागज बनाने वक्त प्रयोग में लाए गए रसायनों की आपसी अभिक्रियाओं से आते हैं.
पुरानी पुस्तक – महक का कारण
कुछ समय पश्चात सेलुलोज और लिग्निन का धीरे-धीरे भंजन शुरू होता है जिससे प्रचूर मात्रा में कार्बनिक यौगिक उत्पन्न होने लगते हैं. इसके अतिरिक्त कागज का प्रकार और पुस्तक की उम्र भी यह तय करती है कि कौन सा यौगिक कितनी मात्रा में उत्पन्न होगा. उदहारण के तौर पर पुरानी पुस्तकों में लिग्निन की मात्रा नयी पुस्तकों की तुलना में अधिक होती है.
नयी पुस्तक – महक का कारण
नयी पुस्तकों की खुशबू नाना प्रकार की हो सकती है क्योंकि इनकी गंध गोंद, स्याही तथा कागज को बनाते समय व्यवहार में लाए जाने वाले रसायन पर निर्भर करती है. यह एक प्रकार से मिश्रित गंध होती हैं.
जिल्दसाजी के लिए इस्तेमाल में लाये जाने वाले आधुनिक गोंद आम तौर पर सहबहुलक (कोपॉलीमर) जैसे कि विनाइल एसीटेट ईथीलीन होते हैं. वहीं कागज बनाने में तमाम रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है ताकि अपेक्षित गुण प्राप्त हो सके. इनमें कुछ रसायन तो वैसे गंधहीन होते हैं परन्तु किसी और रसायन के साथ अभिक्रिया करके ये वाष्पशील कार्बनिक यौगिक बनाते हैं.
पुस्तकों की छपाई में प्रयुक्त स्याही पेट्रोरसायन में घोलकर बनाई जाती है इसलिए पुस्तकों के पन्नों में विशेष प्रकार की गंध होती है.
इस रोचक #HinfoGraphic से समझिये पुस्तकों की महक का कारण
पुस्तकों की उम्र का भी अनुमान लगा सकते हैं
पुस्तकों की महक के पीछे कोई एक रसायन नहीं होता है बल्कि उपयोग में लाए गए कई रासायनिक पदार्थ तथा उनकी अभिक्रियाओं के उत्पाद के फलस्वरूप पुस्तकों में गंध होती है. समय के साथ कागज में उपस्थित रसायन का क्षरण होने लगता है. इस आधार पर हम कार्बनिक यौगिक फरफ्यूरल द्वारा पुस्तक की उम्र का सही-सही आकलन कर सकते हैं.
स्रोत : Dailymail
Topics Covered : Old Book Smell, New Book Smell or Scent, Interesting Chemistry, Hinfographics, Science & Educational Infographics