‘हिंदी की सुप्रसिद्ध काव्य पंक्तियाँ’ श्रृंखला में के भाग १ के बाद हम प्रस्तुत करते हैं इसका दूसरा खण्ड जिनमे शेष प्रसिद्द पंक्तियाँ शामिल है। यह श्रृंखला जारी रहेगी ! रचनाकार : माखनलाल चतुर्वेदी शीर्षक : पुष्प की अभिलाषा मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक। मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पर […]
‘हिंदी की सुप्रसिद्ध काव्य पंक्तियाँ’ श्रृंखला में के भाग १ के बाद हम प्रस्तुत करते हैं इसका दूसरा खण्ड जिनमे शेष प्रसिद्द पंक्तियाँ शामिल है। यह श्रृंखला जारी रहेगी !
माखनलाल चतुर्वेदी – पुष्प की अभिलाषा
रचनाकार : माखनलाल चतुर्वेदी शीर्षक : पुष्प की अभिलाषा
मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पर जावें वीर अनेक …
श्यामनारायण पाण्डेय – चेतक की वीरता
रचनाकार : श्यामनारायण पाण्डेय शीर्षक : चेतक की वीरता
रण बीच चौकड़ी भर-भर कर,
चेतक बन गया निराला था।
राणाप्रताप के घोड़े से,
पड़ गया हवा का पाला था …
केदारनाथ अग्रवाल – बसंती हवा
रचनाकार : केदारनाथ अग्रवाल शीर्षक : बसंती हवा
चढ़ी पेड़ महुआ, थपाथप मचाया,
गिरी धम्म से फिर, चढ़ी आम ऊपर,
उसे भी झकोरा, किया कान में ”कू”,
उतर कर भागी मैं …
सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो,
तुम निडर हटो नहीं, तुम निडर डटो वहीं,
वीर तुम बढ़े चलो,
धीर तुम बढ़े चलो …
भवानी प्रसाद मिश्र – सतपूड़ा के घने जंगल
रचनाकार : भवानी प्रसाद मिश्र शीर्षक : सतपूड़ा के घने जंगल
इन वनों के खूब भीतर,
चार मुर्गे, चार तीतर,
पाल कर निश्चिन्त बैठे,
विजनवन के बीच बैठे …
सत्यनारायण लाल – किसान
रचनाकार : सत्यनारायण लाल शीर्षक : किसान
नहीं हुआ है अभी सवेरा,
पूरब की लाली पहचान।
चिड़ियों के उठने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान।
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