‘हिंदी की सुप्रसिद्ध काव्य पंक्तियाँ’ का यह तीसरा खण्ड है जिनमे फिर से हिंदी भाषा के मूर्धन्य कवी और उनकी द्वारा रचित पंक्तियों को हम प्रकाशित कर रहे हैं. हिंदी भाषा की काव्य निधि इतनी विशाल तथा पूर्ण है जिनमे से इन्हें चुनना आप में एक आनंद है.
हिंदी साहित्य के कहे जाने वाले यह स्तम्भ हम वॉलपेपर के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं जिन्हें आप नीचे दिए गए लिंक से download कर सकते हैं.
प्रेरणादायी तथा अन्य काव्य पंक्तियाँ
सोहनलाल द्विवेदी – हिमालय
खड़ा हिमालय बता रहा है,
डरो न आंधी पानी में,
डटे रहो तुम अविचल होकर,
सब संकट तूफानी में …
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रामधारी सिंह दिनकर – समर शेष है
समर शेष है,
नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं,
समय लिखेगा उनका भी अपराध …
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हरिवंशराय बच्चन – मधुशाला
मुसलमान औ’ हिन्दू हैं दो, एक मगर इनका प्याला,
एक मगर इनका मदिरालय, एक ही इनकी मधुशाला,
दोनो रहते साथ में जब तक, मंदिर मस्जिद में जाते,
बैर कराते मंदिर-मस्जिद , मेल कराती मधुशाला …
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नागार्जुन – अकाल और उसके बाद
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास,
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास,
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त,
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त …
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रामधारी सिंह दिनकर – रश्मिरथी
खम ठोक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़,
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है …
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श्रीप्रसाद – सुबह
मेहनत सबसे अच्छा गुण है,
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है,
अगर सुबह भी अलसा जाए,
तो क्या जग सुंदर हो पाए …
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